'लव जिहाद' का भूत एक बार फ़िर से भारत को सता रहा है। भारतीय समाज मूल रूप से प्रेम का विरोधी है। एक ऐसा समाज जहां प्रेम के बजाय दहेज को अधिक महत्व दिया जाता है, एक ऐसा समाज जहां महिलाओं को महज उनकी पसंद का साथी चुनने के लिए 'खोखले सम्मान’ के नाम पर मार दिया जाता है, उस समाज से प्रेम और सौहार्द की उम्मीद करना ही बेमानी है। रविश कुमार ने 'लव जिहाद' के नाम पर चल रहे साजिश को बख़ूबी बेनकाब किया है। इक ऐसा समाज जो सोते जागते हिंदी फ़िल्मों का प्रेम तो गीत सुनता है लेकिन प्रेम से इतना डरता है कि डर का पूरा भूत ही खड़ा कर देता है। उसी भूत का नाम है 'लव जिहाद'। भारतीय समाज में पुरुषों के विजय और औरतों के जीवन पर एकाधिकार का रूप है 'लव जिहाद'। उस समाज की बेवक़्त, सियासी जरूरत है 'लव जिहाद' जिस समाज में आये दिन होने वाले बलात्कार का भूत कभी इजाद नहीं होता और होगा भी कैसे, समाज की कड़वी सच्चाई उजागर हो जाएगी जिसे झूठी मर्दानगी के तले दबा दिया गया है। मध्यप्रदेश में लव जिहाद ’के संबंध में कानून की हालिया घोषणा उन लोगों के लिए ताबूत में आखिरी कील है, जिनक...
मासिक धर्म/पीरियड्स भारत में एक बहुत बड़ा समाजिक मुद्दा रहा है। हाल के दिनों में भारत की फूड डिलीवरी कंपनी जोमेटो ने इस दिशा में एक नई शुरुआत की है। कंपनी ने अपनी महिला कर्मचारियों को साल में 10 दिन की छुट्टी पीरियड्स के लिए देने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद एक बार फ़िर से पीरियड्स लीव को लेकर बहस छिड़ गयी है। भारत में मासिक धर्म और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी अधिकतर महिलाओं को नहीं है। मासिक धर्म पर हमारी धारणा आमतौर पर नकारात्मक और ग़लत है और समाजिक धारणाओं की वजह से इस पर खुल कर बात नहीं किया जाता है। पितृसत्ता ने सदियों की मेहनत के बाद ‘मासिक-धर्म को गंदी बात’ बताकर महिलाओं के दिमाग में इसके खिलाफ़ बहुत सी ग़लत बातें बिठा दी हैं जिसकी वजह से मासिक धर्म होने को कई लोग ‘बीमारी’ मानते हैं, तो कोई इस वक़्त में औरत को अछूत और अपवित्र कहता है। जिस देश में महज 36% महिलाएं/लड़कियाँ पीरियड्स के दौरान सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल कर पाती हैं वहाँ पीरियड्स लीव का जिक्र ख़ुद में बहुत बड़ी बात है। यह बात उस वक़्त और भी अहम हो जाती है जब मालूम चलता है कि आज से...