जब कभी इंसान किसी मुद्दे पर अपनी राय रखता है तो सबसे पहले उसका विशेषाधिकार आड़े आता है। किसी स्ट्रगल को समझने के लिए सबसे पहले उसके हालात को समझना जरूरी होता है।
मेरा खुद का अनुभव है कि चाहे हमसब कितना भी दावा क्यों ना कर लें लेकिन प्रिविलेज पोजिसन पर बैठ कर शोषित वर्ग के संघर्ष को नहीं समझ सकते हैं। अमेरिका में जो कुछ भी हो रहा है वो सदियों से चले आ रहे संघर्ष का नतीजा है। मैं ख़ुद किसी भी तरीके के हिंसा में यकीन नहीं रखती हूँ लेकिन हिंसा की वजह क्या है उसे जानना सबसे ज्यादा अहम रखता है। तोड़ फोड़ मचाना ग़लत है लेकिन उससे भी ज्यादा ग़लत है एक इंसान को अपने बल का प्रयोग कर के जान से मार देना।
जब हर इंसान के खून का रंग एक है फ़िर चाहे वो आदमी हो औरत हो या फ़िर तीसरा जेंडर फ़िर हमें किसने अधिकार दिया उन्हें किसी से कमतर मानने का। लिंग, जाति, धर्म और नस्ल के नाम पर किसी को दबाना, नीचा दिखाना और बराबरी का दर्जा ना देना सिर्फ और सिर्फ पॉवर पॉलिटिक्स और अपर कास्ट प्रिविलेज मेंटेलिटी है और कुछ नहीं।
जिनका ख़ुद का जीवन ही अस्तित्व की लडाई हो उनके लिए ख़ुद की आवाज़ को किसी भी तरह आवाम तक पहुँचना ही एक आख़िरी मकसद होता है। फ़िर चाहे वो ब्लैक डिस्क्रिमिनेशन इन अमेरिका हो या फ़िर दलित और मुस्लिम विरोध इन इंडिया हो फ़िर चाहे वो वैश्विक अस्तर पर औरतों का तिरस्कार हो।
To survive is to resist.
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