फूलों की तरह होती है ज़िन्दगी बहार देखकर खिल उठती है औऱ विरानगी देखकर मुरझा जाती है ; जिस तरह बारिश की बूंदों को देखकर प्रेम बरसाती हैं ये कलियाँ और ये फूल , उसी तरह किसी अपने को पाकर यह पूरी दुनिया मानो प्रेम में डूब जाती है , भूल जाती है उस अपने को खोने के एहसास से....... उसकी आँखों की छुवन से ही अपने जिस्म की हर अंगों पर उन तपते हाथों के स्पर्श को महसूस कर लेती है. खो देती है उसके अधरों के बीच अपनी शख़्शियत को बस रह जाती हैं वो निशान जो उनके अधरों ने दिए थें उसके ज़िस्म पर और वो निशान उसकी स्मृतियों में यूँ समाते हैं कि, उसकी रूह तक को छू जाते हैं मर मिटने के बाद भी सदा सदा के लिए उसी के होकर रह जाते हैं ||