वैसे तो इश्क़ करने का कोई मौसम नहीं... मग़र वादियां जब उजली बर्फ की चादर ओढ़ कर अपनी खूबसूरती में सबको पागल बनाती हुई यूँ इतराती हो मानो इस जहां में उस सा कोई हसीन नही.... सरसराती सी हवा जब परतों में लिपटी जिस्म को चिरकर छू रही होती हैं मानो सारा संसार गुलज़ार हो उठता है... उसी वक़्त एक ख़ूबसूरत सी लड़की रेशमी सा शॉल अपने कंधों पर रखती हुई वक़्त- बेवक़्त उसे समेटने की साज़िश करती है... उस एक पल में मानो सारा संसार उसकी मुट्ठी में आकर सिमट जाता है और इस सर्द मौसम में उसकी हथेलियों की गर्माहट का लुफ़्त उठाता है। ।